
Chhath Puja 2025 Day-1
Chhath Puja 2025 Day-1 : Chhath Puja भारत के सबसे प्राचीन और पवित्र त्योहारों में से एक है, जो सूर्य देव (Lord Surya) और छठी मैया (Chhathi Maiya) को समर्पित है। यह त्योहार न सिर्फ religious devotion का प्रतीक है, बल्कि nature, purity और gratitude का उत्सव भी है।
चार दिन तक चलने वाला यह पर्व नहाय-खाय (Nahai-Khai) से शुरू होता है और उषा अर्घ्य (morning offering) के साथ समाप्त होता है। हर दिन का अपना spiritual और scientific importance है।

🌾 Day 1 – नहाय-खाय (Nahai-Khai): Purity & Shuruaat of Chhath Puja
नहाय-खाय का literal अर्थ है — “स्नान करके पवित्र भोजन करना।”
इस दिन व्रती (the devotee observing fast) गंगा, कोसी या किसी पवित्र नदी में स्नान करते हैं। फिर घर में शुद्धता और positive energy बनाए रखते हुए सूर्य देव की आराधना करते हैं।
Main ritual:
- स्नान के बाद व्रती घर में सात्विक भोजन बनाते हैं।
- भोजन में प्रायः कद्दू-भात, चने की दाल और घी का प्रयोग किया जाता है।
- यह भोजन बिना प्याज और लहसुन के होता है।
- व्रती केवल एक बार यह भोजन ग्रहण करते हैं, जिसे “नहाय-खाय प्रसाद” कहा जाता है।
यह दिन आने वाले व्रतों के लिए शरीर और आत्मा की शुद्धि (spiritual detox) का प्रतीक है।
🌞 Why Surya Puja is Celebrated in Chhath
Chhath Puja is dedicated to Sun God (Lord Surya) — the eternal source of energy, light, and life.
Hindus believe that offering Arghya to the setting and rising sun fulfills desires, brings prosperity, and ensures family well-being.
Scientific belief: सूर्य की किरणों से Vitamin D और ऊर्जा का संचार होता है। इस व्रत में जल में खड़े होकर सूर्य की उपासना करना शरीर और मन दोनों को शुद्ध करता है।
🍚 Traditional Food & Rituals on Nahai-Khai
छठ पूजा का पहला दिन simple yet sacred भोजन से जुड़ा होता है।
व्रती दिनभर fasting के बाद शाम को भोजन करते हैं जिसमें शामिल होता है:
- कद्दू की सब्जी (Pumpkin Curry)
- अरवा चावल (Plain Rice)
- चने की दाल (Gram Lentils)
- घी से बना सात्विक प्रसाद
यह भोजन अग्नि में शुद्ध घी से बनता है और भगवान सूर्य को अर्पित किया जाता है।
🪔 Next Rituals in Chhath Puja
- दूसरा दिन – खरना (Kharna):
इस दिन व्रती पूरा दिन निराहार रहते हैं और शाम को गुड़ की खीर, रोटी और फल का प्रसाद बनाकर ग्रहण करते हैं। - तीसरा दिन – संध्या अर्घ्य (Sandhya Arghya):
व्रती अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देते हैं और लोक गीतों, आराधना और दीपदान का आयोजन होता है। - चौथा दिन – उषा अर्घ्य (Usha Arghya):
अंतिम दिन व्रती सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं और व्रत का समापन करते हैं।
🌸 Cultural Significance
छठ पूजा बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, और नेपाल में बड़े ही भव्य रूप से मनाई जाती है।
यह त्योहार न सिर्फ धार्मिक आस्था बल्कि women empowerment और ecological harmony का भी प्रतीक है।
आज के समय में इसे भारत के साथ-साथ विदेशों में बसे प्रवासी भारतीय भी धूमधाम से मनाते हैं।
💫 Conclusion
Chhath Puja 2025 का पहला दिन नहाय-खाय हमें cleanliness, discipline और positivity का संदेश देता है।
यह दिन हमें यह सिखाता है कि pure intentions और devotion के साथ किया गया हर कार्य फलदायी होता है।
आइए इस पावन अवसर पर हम सब सूर्य देव और छठी मैया से प्रार्थना करें कि हमारे जीवन में सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि बनी रहे। 🌞🙏
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