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Haryana chunavi Dangal 2024: किसका होगा दबदबा, सत्ता की कुर्सी पर कौन करेगा कब्ज़ा?

Haryana chunavi Dangal 2024: किसका होगा दबदबा, सत्ता की कुर्सी पर कौन करेगा कब्ज़ा?

Haryana chunavi Dangal 2024: किसका होगा दबदबा, सत्ता की कुर्सी पर कौन करेगा कब्ज़ा?

Haryana chunavi Dangal 2024 हरियाणा का राजनीतिक परिदृश्य 2024 के विधानसभा चुनावों के मद्देनजर गर्माया हुआ है। राजनीतिक दलों ने अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है, और मतदाताओं का विश्वास जीतने के लिए जमीनी स्तर पर सक्रियता बढ़ गई है। हरियाणा के लिए यह चुनाव सिर्फ सत्ता परिवर्तन की लड़ाई नहीं है, बल्कि यह चुनावी दंगल प्रदेश के भविष्य को नई दिशा देने वाला साबित हो सकता है। सवाल यह है कि इस चुनाव में किसका पलड़ा भारी रहेगा, और कौन सत्ता की कुर्सी पर कब्जा करेगा?

वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य

हरियाणा में फिलहाल भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सरकार है, जिसके मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर हैं। 2014 और 2019 में लगातार दो बार जीत दर्ज करके भाजपा ने राज्य में अपनी स्थिति मजबूत की थी। लेकिन 2024 का चुनाव भाजपा के लिए उतना आसान नहीं होने वाला है, क्योंकि पिछले कुछ सालों में राज्य में कई अहम मुद्दे उभर कर सामने आए हैं जो भाजपा के सामने चुनौती बन सकते हैं।

विपक्ष में मुख्य रूप से कांग्रेस, जननायक जनता पार्टी (JJP), और इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) के नेता जोर-शोर से अपनी तैयारियों में जुटे हुए हैं। भाजपा के लिए इस बार का चुनाव मुश्किल इसलिए भी है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में प्रदेश में किसानों के आंदोलन, बेरोजगारी, और महंगाई जैसे मुद्दों ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है।

प्रमुख राजनीतिक दल और उनके नेता

  1. भारतीय जनता पार्टी (BJP)भाजपा हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर की अगुवाई में चुनावी मैदान में उतर रही है। खट्टर की छवि एक साफ-सुथरे और ईमानदार नेता की है। उन्होंने राज्य में अपनी विकासोन्मुखी योजनाओं से लोगों का दिल जीतने की कोशिश की है। भाजपा इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को भुनाने की रणनीति बना रही है।खट्टर सरकार ने बुनियादी ढांचे के विकास और औद्योगिकीकरण पर काफी काम किया है। हरियाणा में हाईवे और एक्सप्रेसवे का नेटवर्क विस्तार हुआ है, लेकिन विपक्षी दल यह तर्क दे रहे हैं कि आम जनता को इससे कोई बड़ा फायदा नहीं मिला है। साथ ही, किसानों का असंतोष भाजपा के लिए एक बड़ा खतरा हो सकता है, क्योंकि हाल के वर्षों में किसानों के आंदोलनों ने पार्टी के प्रति नाराजगी को बढ़ाया है। भाजपा ने हालांकि कुछ कल्याणकारी योजनाओं जैसे आयुष्मान भारत, उज्ज्वला योजना, और प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के जरिए मतदाताओं को साधने की कोशिश की है।
  2. कांग्रेसहरियाणा में कांग्रेस की अगुवाई भूपेंद्र सिंह हुड्डा कर रहे हैं, जो राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। हुड्डा की छवि एक अनुभवी और जनप्रिय नेता की है, और खासकर किसानों के बीच उनकी पकड़ मजबूत मानी जाती है। हुड्डा सरकार के समय किए गए विकास कार्यों और किसान हितैषी नीतियों के जरिए कांग्रेस अपनी खोई जमीन वापस पाने की कोशिश कर रही है।कांग्रेस के लिए यह चुनावी मैदान भाजपा के खिलाफ एक बड़ा अवसर है, खासकर क्योंकि किसानों का गुस्सा भाजपा के खिलाफ है और कांग्रेस ने किसान आंदोलन का समर्थन खुलकर किया था। कांग्रेस की रणनीति राज्य के किसानों, बेरोजगार युवाओं, और गरीब तबकों पर केंद्रित है। इसके अलावा, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के नेतृत्व में पार्टी एक व्यापक अभियान चला रही है, जिसमें वे राज्य के विभिन्न हिस्सों में जनसभाएं और रैलियां कर रहे हैं।
  3. जननायक जनता पार्टी (JJP)JJP की अगुवाई दुष्यंत चौटाला कर रहे हैं, जो राज्य के उपमुख्यमंत्री भी हैं। पिछली बार 2019 के चुनाव में JJP ने भाजपा के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई थी, लेकिन इस बार पार्टी का रुख कुछ हद तक अलग हो सकता है। JJP का जनाधार ग्रामीण और जाट बहुल इलाकों में है, और इस बार पार्टी का मुख्य फोकस किसानों के मुद्दों और युवाओं के रोजगार पर है।JJP के लिए 2024 का चुनाव अहम है, क्योंकि पार्टी को यह तय करना है कि वह भाजपा के साथ गठबंधन जारी रखेगी या स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ेगी। दुष्यंत चौटाला के सामने अपनी पार्टी को एक नई पहचान देने की चुनौती है, खासकर तब जब INLD की जड़ें राज्य में मजबूत रही हैं। इस बार के चुनाव में JJP का प्रदर्शन यह तय करेगा कि क्या वह भाजपा के साथ सत्ता में वापसी कर पाती है या विपक्ष में अपनी जगह बनाती है।
  4. इंडियन नेशनल लोकदल (INLD)ओम प्रकाश चौटाला की पार्टी INLD हरियाणा की राजनीति में एक समय प्रमुख ताकत हुआ करती थी, लेकिन अब पार्टी का जनाधार कमजोर हो चुका है। हालांकि, INLD ने अपनी पकड़ खासकर जाट और ग्रामीण मतदाताओं के बीच बनाए रखी है। INLD का मुख्य फोकस किसानों के हित, बेरोजगारी, और ग्रामीण विकास पर है।2024 का चुनाव INLD के लिए एक वापसी का अवसर है, लेकिन इसके लिए उसे भाजपा, कांग्रेस, और JJP जैसी प्रमुख पार्टियों का मुकाबला करना होगा। चौटाला परिवार के भीतर राजनीतिक खींचतान भी पार्टी के लिए एक चुनौती हो सकती है। हालांकि, INLD ने यह साबित करने की कोशिश की है कि वह अब भी हरियाणा की राजनीति में प्रासंगिक है, खासकर ग्रामीण और जाट बहुल इलाकों में।

चुनावी मुद्दे

हरियाणा के 2024 के विधानसभा चुनावों में कई प्रमुख मुद्दे उभर कर सामने आए हैं, जो चुनावी परिणाम को प्रभावित करेंगे। ये मुद्दे राज्य के राजनीतिक परिदृश्य को आकार दे सकते हैं:

  1. किसान आंदोलन और कृषि कानूनपिछले कुछ वर्षों में हरियाणा के किसानों ने कृषि कानूनों के खिलाफ जबरदस्त आंदोलन किया, जिसने भाजपा के खिलाफ नाराजगी को जन्म दिया। हालांकि, केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों को वापस ले लिया है, लेकिन इसका प्रभाव अब भी राज्य की राजनीति पर दिख रहा है। कांग्रेस और JJP इस मुद्दे को प्रमुखता से उठा रहे हैं, जबकि भाजपा इस नाराजगी को विकास कार्यों के जरिए कम करने की कोशिश कर रही है।
  2. बेरोजगारीराज्य में बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा है। हरियाणा के युवा रोजगार के अवसरों की कमी से जूझ रहे हैं। कांग्रेस और JJP ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है। भाजपा ने राज्य में औद्योगिक विस्तार और निवेश को बढ़ावा देने की कोशिश की है, लेकिन विपक्ष का कहना है कि रोजगार के अवसरों में कोई बड़ा सुधार नहीं हुआ है।
  3. महंगाई और आर्थिक संकटमहंगाई का मुद्दा भी चुनावों में प्रमुखता से उभर रहा है। बढ़ती कीमतों ने आम जनता की मुश्किलें बढ़ाई हैं, और यह भाजपा के खिलाफ एक बड़ा हथियार बन सकता है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इस मुद्दे पर भाजपा की नीतियों की आलोचना कर रहे हैं।
  4. जातिगत समीकरणहरियाणा की राजनीति में जातिगत समीकरण हमेशा से निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं। जाट और गैर-जाट वोट बैंक यहां के चुनावी नतीजों को काफी हद तक प्रभावित करते हैं। जाट मतदाता कांग्रेस और INLD के प्रमुख समर्थक माने जाते हैं, जबकि भाजपा ने गैर-जाट वोटरों को अपने साथ बनाए रखा है। 2024 के चुनाव में जातिगत गणित अहम भूमिका निभाएगा।

संभावित गठबंधन

हरियाणा में संभावित गठबंधन भी चुनावी नतीजों पर गहरा असर डाल सकते हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और JJP का गठबंधन हुआ था, जिसने सरकार बनाई थी। इस बार यह देखना होगा कि JJP और भाजपा फिर से साथ आते हैं या नहीं। INLD भी क्षेत्रीय राजनीति में अपनी वापसी के लिए नए गठबंधन की संभावनाएं तलाश सकती है। कांग्रेस के भीतर भी नए गठबंधन की अटकलें हैं, खासकर क्षेत्रीय दलों के साथ।

निष्कर्ष

चुनावी पूर्वानुमान और निष्कर्ष

2024 का हरियाणा विधानसभा चुनाव कई मायनों में रोमांचक और महत्वपूर्ण होगा। भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर के बावजूद, क्षेत्रीय दल जैसे JJP और INLD भी इस चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। जातिगत समीकरण, किसानों की नाराजगी, बेरोजगारी, और महंगाई जैसे मुद्दे इस चुनाव के परिणाम को प्रभावित करेंगे।

हरियाणा की जनता इस बार किसे सत्ता की कुर्सी पर बिठाएगी, यह तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा, लेकिन इतना तय है कि यह चुनाव राज्य की राजनीति में नए समीकरण स्थापित करेगा और भविष्य की दिशा तय करेगा।

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