
Maa Katyayani
Maa Katyayani : नवरात्रि के 6th दिन देवी कात्यायनी की पूजा विशेष श्रद्धा के साथ की जाती है। इन्हें दुर्गा के नौ रूपों में से एक माना जाता है और माता का यह स्वरूप अत्यंत शक्ति और साहस का प्रतीक है। इनका नाम ऋषि कात्यायन के घर जन्म लेने के कारण कात्यायनी पड़ा।
Maa Katyayani का स्वरूप और प्रतीक:
माँ कात्यायनी के चार हाथ हैं, जिनमें प्रत्येक हाथ का अलग महत्व है:
- पहला हाथ: कमलपुष्प – यह जीवन में पवित्रता और दृष्टि का प्रतीक है।
- दूसरा हाथ: तलवार – यह ज्ञान और बुराई पर विजय का प्रतीक है।
- तीसरा हाथ: अभय मुद्रा – भय को दूर करने और सुरक्षा देने वाला हाथ।
- चौथा हाथ: वरदहस्त – आशीर्वाद देने वाला हाथ।
माँ कात्यायनी ने अपनी दिव्य शक्ति से महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था। इसी कारण इस रूप को महिषासुर मर्दिनी भी कहा जाता है। देवी का यह स्वरूप भक्तों को बुराई पर विजय, साहस, और शक्ति प्रदान करता है।
Maa Katyayani
नवरात्रि में पूजा विधि और महत्व:
- छठे दिन कात्यायनी देवी की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए।
- उनके सामने दीपक जलाकर और माता का ध्यान करके भजन-कीर्तन किया जाता है।
- इस दिन माँ कात्यायनी की आराधना से मानसिक और आत्मिक शक्ति बढ़ती है।
- विवाह योग्य कन्याओं के लिए माँ कात्यायनी विशेष रूप से फलों और फूलों से आशीर्वाद देती हैं।
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