
Govardhan Puja 2025
📅 तिथि: 22 अक्टूबर 2025
🪔 पर्व: गोवर्धन पूजा (Annakoot Festival)
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🌸 Govardhan Puja 2025: एक दिव्य और पर्यावरण प्रेरक पर्व
भारत की समृद्ध संस्कृति में हर त्योहार के पीछे कोई न कोई आध्यात्मिक और सामाजिक संदेश छिपा होता है।
Govardhan Puja 2025 या Annakoot Festival भी ऐसा ही एक पर्व है जो प्रकृति, पशु और मानव — तीनों के बीच संतुलन का प्रतीक है।
यह त्योहार दीपावली के अगले दिन मनाया जाता है, जब भक्त भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की याद में पूजा करते हैं। इस दिन गायों की पूजा, अन्नकूट भोग, और भगवान श्रीकृष्ण की आराधना की जाती है।
🕉️ Govardhan Puja की पौराणिक कथा
पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार, एक समय वृंदावन में लगातार वर्षा हो रही थी। इंद्रदेव के कोप से ब्रजवासी भयभीत थे।
भगवान श्रीकृष्ण ने तब इंद्र की पूजा रोकने और गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की सलाह दी, क्योंकि वही असली रूप में वर्षा और अन्न प्रदान करता है।
इंद्र को यह बात नागवार गुजरी और उन्होंने लगातार वर्षा भेजी।
तब श्रीकृष्ण ने अपनी कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर ब्रजवासियों को आश्रय दिया। सात दिन तक वर्षा होती रही, लेकिन किसी को हानि नहीं हुई।
आख़िरकार इंद्रदेव ने अपनी भूल मानी और भगवान कृष्ण के आगे नतमस्तक हो गए।
यह घटना हमें सिखाती है कि प्रकृति ही सच्चा देवता है — उसका संरक्षण ही ईश्वर की पूजा के समान है।
🌾 गोवर्धन पूजा का महत्व (Significance of Govardhan Puja 2025)
गोवर्धन पूजा केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह प्रकृति संरक्षण और पर्यावरण जागरूकता का संदेश भी देती है।
- 🌱 यह पर्व हमें बताता है कि हमें प्रकृति और पशुओं का सम्मान करना चाहिए।
- 🪔 यह हमें सिखाता है कि आडंबरों की जगह सादगी और सेवा सर्वोपरि है।
- 🐄 गौ पूजा से हमें गायों के प्रति कृतज्ञता का भाव जगाने की प्रेरणा मिलती है।
- 🍛 अन्नकूट भोग साझा करने से समाज में समानता और सद्भाव का संदेश फैलता है।
🙏 Govardhan Puja 2025 Puja Vidhi (पूजा विधि और परंपराएँ)
गोवर्धन पूजा के दिन सुबह स्नान के बाद घर के आंगन में गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाया जाता है — आमतौर पर गाय के गोबर, मिट्टी या फूलों से।
मुख्य विधियाँ:
- गोवर्धन बनाना:
घर या मंदिर में छोटा पर्वत आकार बनाकर उसे फूल, दीया और अक्षत से सजाया जाता है। - गौ पूजन:
गायों को नहलाया जाता है, गले में माला पहनाई जाती है और उन्हें स्वादिष्ट भोजन दिया जाता है। - अन्नकूट भोग:
सैकड़ों प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं — मिठाइयाँ, नमकीन, सब्जियाँ, फल और अनाज — जिन्हें श्रीकृष्ण को अर्पित किया जाता है। - भजन कीर्तन:
शाम को मंदिरों में भजन-संध्या और दीपदान का आयोजन किया जाता है।
🪔 Govardhan Puja 2025 Date and Shubh Muhurat
- तिथि: बुधवार, 22 अक्टूबर 2025
- प्रतिपदा तिथि आरंभ: 21 अक्टूबर 2025, रात 11:47 बजे
- प्रतिपदा तिथि समाप्त: 22 अक्टूबर 2025, रात 08:16 बजे
- अन्नकूट पूजा मुहूर्त: 22 अक्टूबर सुबह 06:30 से 08:45 तक (स्थानीय पंचांग अनुसार)
👉 इस शुभ मुहूर्त में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से घर में अन्न, धन और सौभाग्य की वृद्धि होती है।
🌺 Annakoot Festival 2025: Food, Devotion & Celebration
Govardhan Puja is also known as Annakoot Mahotsav, meaning “a mountain of food.”
On this day, devotees prepare a variety of vegetarian dishes — sweets, sabzi, rice, puri, and fruits — and offer them to Lord Krishna as gratitude for his blessings.
Later, this Prasad is distributed among devotees, symbolizing unity, equality, and divine sharing.
Temples like Mathura, Vrindavan, Nathdwara, and Dwarka witness grand celebrations with thousands of devotees participating in kirtans and bhajans.
🌿 Govardhan Puja and Environmental Awareness
In today’s world, where environmental pollution and deforestation are growing concerns, Govardhan Puja reminds us of our duty to protect nature and animals.
The act of worshipping a mountain represents gratitude towards earth, water, and forests that sustain life.
Similarly, cow worship (Gau Puja) highlights India’s ancient tradition of respecting animals that contribute to rural livelihood and ecological balance.
Thus, Govardhan Puja is not just a festival — it is a symbol of sustainable living and ecological devotion.
🌸 Govardhan Puja in Different Regions of India
- उत्तर भारत: वृंदावन, मथुरा और हरिद्वार में यह पर्व बड़े उत्साह से मनाया जाता है।
- गुजरात और राजस्थान: इसे ‘Annakoot’ नाम से जाना जाता है, जहाँ मंदिरों में विशाल भोग लगाया जाता है।
- महाराष्ट्र और दक्षिण भारत: लोग इस दिन अपने घरों में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति के सामने दीप जलाते हैं और गौसेवा करते हैं।
हर क्षेत्र में भले ही परंपराएँ थोड़ी अलग हों, पर भाव एक ही — ईश्वर और प्रकृति के प्रति आभार।
🕊️ Govardhan Puja Quotes & Wishes 2025
✨ “जो धरती को पूजे, वही सच्चा भक्त कहलाए।”
🌿 “गोवर्धन पूजा हमें सिखाती है कि प्रकृति और पशु हमारी आराधना के भागी हैं।”
🪔 “जय श्रीकृष्ण! इस गोवर्धन पूजा पर आपके जीवन में अन्न, धन और आनंद की वर्षा हो।”
🌼 Conclusion: A Festival of Faith and Eco-Consciousness
Govardhan Puja 2025 reminds us that spirituality and sustainability go hand in hand.
The story of Lord Krishna lifting Govardhan Parvat is not just a mythological tale — it’s a timeless lesson on respecting nature, protecting animals, and living with gratitude.
इस वर्ष 22 अक्टूबर 2025 को, आइए हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि हम प्रकृति की रक्षा करेंगे, गौ सेवा करेंगे और भगवान श्रीकृष्ण के आदर्शों पर चलेंगे।
🪔 “गोवर्धन पूजा की हार्दिक शुभकामनाएँ — जय श्रीकृष्ण!”
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🪔 गोवर्धन पूजा की दिव्य कथा: जब भगवान कृष्ण ने पर्वत उठाया
बहुत समय पहले, वृंदावन की पावन भूमि पर, लोग प्रकृति की सुंदरता से घिरे, सादा और सुखी जीवन जीते थे। वे शक्तिशाली भगवान इंद्र की पूजा करते थे, यह मानते हुए कि वे वर्षा लाते हैं जिससे उनके खेतों और मवेशियों को पोषण मिलता है।
लेकिन एक दिन, कृष्ण नाम के एक बालक, जो कोई और नहीं बल्कि भगवान विष्णु के अवतार थे, ने इस पुरानी प्रथा पर सवाल उठाया।
उन्होंने पूछा,
“हमें इंद्र की पूजा क्यों करनी चाहिए, जबकि गोवर्धन पर्वत, गायें और जंगल ही वास्तव में हमारे जीवन का पोषण करते हैं?”
ग्रामीण आश्चर्यचकित हो गए। कृष्ण ने प्रेमपूर्वक समझाया,
“गोवर्धन पर्वत हमारी गायों के लिए घास, उपचार के लिए जड़ी-बूटियाँ, पोषण के लिए फल और हमारी प्यास बुझाने के लिए नदियाँ प्रदान करता है। यह हमारा सच्चा रक्षक है।”
कृष्ण की बुद्धिमता सुनकर, ग्रामीणों ने इंद्र के बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा और भोजन अर्पित करने का निर्णय लिया।
⚡ इंद्र का प्रकोप
जब भगवान इंद्र को यह बात पता चली, तो वे क्रोधित हो गए।
“ये नश्वर प्राणी मेरी पूजा करना कैसे बंद कर सकते हैं!” उन्होंने गरजकर कहा।
क्रोधित होकर, इंद्र ने बादलों को वृंदावन पर मूसलाधार वर्षा करने का आदेश दिया।
कई दिनों तक लगातार बारिश होती रही। नदियाँ उफान पर आ गईं, पेड़ गिर गए और लोगों में भय फैल गया।
गाँव वाले मदद के लिए कृष्ण के पास दौड़े।
शांत मुस्कान के साथ, नन्हे दिव्य बालक ने उन्हें आश्वासन दिया,
“डरो मत। मैं तुम्हारी रक्षा करूँगा।”
🌿 गोवर्धन का चमत्कार
फिर सबसे अद्भुत घटना घटी –
कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर पूरा गोवर्धन पर्वत उठा लिया, उतनी ही आसानी से जैसे कोई खिलौना उठा लेता है!
“आओ, सब लोग,” कृष्ण ने कहा, “अपने परिवार, गायों और जो कुछ भी तुम्हारे पास है, उसे लेकर आओ। इस पर्वत के नीचे शरण लो।”
सात दिन और सात रातों तक, वृंदावन के लोग अपनी गायों और बच्चों के साथ पहाड़ी के नीचे सुरक्षित खड़े रहे।
बारिश की एक भी बूँद उन्हें छू नहीं सकी।
महान् इंद्र अविश्वास से देखते रहे। कृष्ण की मासूम मुस्कान के आगे उनका अभिमान चकनाचूर हो गया।
उन्हें एहसास हुआ कि वह बालक कोई साधारण बालक नहीं था – वह स्वयं परमेश्वर थे, सभी प्राणियों के रक्षक।
☀️ इंद्र की क्षमा याचना और गोवर्धन पूजा का जन्म
जब इंद्र का अहंकार पिघल गया, तो वे स्वर्ग से नीचे उतरे और कृष्ण के सामने झुककर बोले,
“हे प्रभु, मुझे क्षमा करें। मैं अभिमान में अंधा हो गया था। आप ही ब्रह्मांड के सच्चे रक्षक हैं।”
कृष्ण ने धीरे से मुस्कुराते हुए कहा,
“इंद्र, यह कभी मत भूलना कि प्रकृति दिव्य है। इसकी सेवा करना ही मेरी सेवा करना है।”
उस दिन से, वृंदावन के लोग गोवर्धन पूजा मनाने लगे – पवित्र पर्वत, गायों और प्रकृति के सभी रूपों की पूजा करने का दिन।
उन्होंने गोवर्धन पर्वत के प्रतीक के रूप में मिट्टी या गोबर के छोटे-छोटे टीले बनाए और भगवान कृष्ण को अन्नकूट, यानी भोजन का पर्वत, अर्पित किया।
🕊️ शाश्वत संदेश
गोवर्धन पूजा की कथा एक शाश्वत सत्य सिखाती है —
🌿 प्रकृति हमारी सबसे बड़ी देवी है।
🌧️ अहंकार पतन लाता है, जबकि विनम्रता ईश्वरीय कृपा लाती है।
🐄 गायों की सेवा और पर्यावरण की रक्षा ही सच्ची पूजा है।
आज भी, लाखों भक्त भगवान कृष्ण की दिव्य सुरक्षा और पर्यावरण संतुलन व कृतज्ञता के उनके संदेश को याद करने के लिए इस दिन को मनाते हैं।
जय श्रीकृष्ण!
“जो प्रकृति की सेवा करे, वही सच्चा भक्त कहलाए।”