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आतंकवाद के खिलाफ मोदी सरकार की ‘Zero Tolerance Policy’: 26 नवंबर 2008 की त्रासदी और सख्त कदम
Zero Tolerance Policy
Zero Tolerance Policy : 26 नवंबर 2008 का दिन भारतीय इतिहास में आतंक के काले अध्याय के रूप में दर्ज है। इस दिन मुंबई पर हुए आतंकवादी हमले ने न केवल देश को झकझोर कर रख दिया, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी भारत की सुरक्षा चुनौतियों को उजागर किया। इस त्रासदी में 166 निर्दोष लोगों की जान गई और सैकड़ों घायल हुए। इस भयावह घटना ने देश को यह समझने पर मजबूर किया कि आतंकवाद के खिलाफ एक सख्त और निर्णायक नीति की आवश्यकता है।
26/11: आतंक का भयावह दिन
मुंबई पर हुए इस आतंकी हमले को पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने अंजाम दिया। इस हमले में आतंकवादियों ने ताज होटल, ओबेरॉय होटल, नरीमन हाउस और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस जैसे स्थानों को निशाना बनाया। राष्ट्रीय सुरक्षा बल (NSG) और पुलिस ने कई घंटों की कड़ी कार्रवाई के बाद आतंकवादियों को खत्म किया। हालांकि, यह घटना भारत की सुरक्षा व्यवस्था के लिए एक बड़ा सबक थी।
मोदी सरकार का ‘Zero Tolerance Policy’ दृष्टिकोण
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाई। इसके तहत निम्नलिखित कदम उठाए गए:
1. सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक:
- 2016 में उरी हमले के बाद भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक कर आतंकवादी ठिकानों को ध्वस्त किया।
- 2019 में पुलवामा हमले के बाद बालाकोट एयर स्ट्राइक के जरिए पाकिस्तान स्थित आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाया गया।
2. मजबूत सुरक्षा तंत्र:
- राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को आतंकवाद के मामलों में अधिक अधिकार दिए गए।
- सुरक्षा बलों को आधुनिक हथियार और तकनीकी उपकरणों से लैस किया गया।
- सीमाओं पर सुरक्षा बढ़ाने के लिए आधुनिक तकनीकों जैसे ड्रोन और सेंसर्स का उपयोग किया गया।
3. आतंकवादी संगठनों पर सख्ती:
- आतंकवादी संगठनों जैसे लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, और हिजबुल मुजाहिदीन को प्रतिबंधित कर उनकी फंडिंग पर रोक लगाई गई।
- वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान को आतंकवाद प्रायोजित करने के लिए अलग-थलग करने की कूटनीति अपनाई गई।
4. आतंकवाद विरोधी कानून:
- 2019 में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) में संशोधन कर किसी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने का प्रावधान किया गया।
- टेरर फंडिंग रोकने के लिए वित्तीय लेनदेन पर कड़ी निगरानी रखी गई।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्थिति मजबूत
मोदी सरकार ने आतंकवाद के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया। संयुक्त राष्ट्र और FATF (Financial Action Task Force) जैसे मंचों पर भारत ने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहयोग की वकालत की। इसके परिणामस्वरूप पाकिस्तान को FATF की ग्रे लिस्ट में डाल दिया गया, जिससे उसकी अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ा।
जनता की भूमिका और सतर्कता
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सरकार के साथ जनता की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। मोदी सरकार ने आम नागरिकों को सतर्क रहने और संदिग्ध गतिविधियों की सूचना देने के लिए प्रेरित किया।
निष्कर्ष
26 नवंबर 2008 की त्रासदी ने देश को झकझोर दिया था, लेकिन इस घटना के बाद भारत ने अपनी सुरक्षा नीतियों में क्रांतिकारी बदलाव किए। मोदी सरकार की ‘Zero Tolerance Policy’ नीति ने न केवल आतंकवादियों को करारा जवाब दिया, बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करेगा। आज, 26/11 की बरसी पर, हमें इस बात का संकल्प लेना चाहिए कि हम एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेंगे और शांति, सुरक्षा और समृद्धि के लिए प्रयासरत रहेंगे।
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