Govardhan Puja 2025 Guide|Annakoot Puja: तिथि, मुहूर्त, महत्व और अनुष्ठान पूरी जानकारी

Govardhan Puja 2025 Guide |Annakoot Puja

Govardhan Puja 2025 Guide|Annakoot Puja

Govardhan Puja 2025 Guide|Annakoot Puja : गोवर्धन पूजा 2025 (Govardhan Puja 2025) हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह की शुक्ल प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है, जो दिवाली के अगले दिन पड़ती है। यह दिन भगवान कृष्ण द्वारा इंद्र देव के अभिमान को शांत करने और गोवर्धन पर्वत की पूजा का प्रारंभ करने की याद में मनाया जाता है।
इसे अन्नकूट उत्सव (Annakoot Puja) भी कहा जाता है, जिसमें भक्तगण विविध प्रकार के अन्न, मिठाइयाँ, फल, और व्यंजन बनाकर भगवान कृष्ण को भोग लगाते हैं और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।


📅 Govardhan Puja 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

पर्व / कार्यक्रमतिथि और समय
प्रतिपदा तिथि प्रारंभ21 अक्टूबर 2025, रात 10:24 बजे
गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त22 अक्टूबर 2025, सुबह 05:03 AM से 07:38 AM
गोवर्धन पूजा सायंकाल मुहूर्त22 अक्टूबर 2025, शाम 03:24 PM से 05:59 PM
प्रतिपदा तिथि समाप्त23 अक्टूबर 2025, रात 12:46 बजे

🪔 महत्वपूर्ण जानकारी:

  • महाराष्ट्र में इस दिन को बाली प्रतिपदा या बाली प्रज्ञादशमी कहा जाता है, जो भगवान वामन अवतार द्वारा राजा बली को हराने की स्मृति में मनाई जाती है।
  • गुजरात में यह दिन गुजराती नव वर्ष (Bestu Varas) के रूप में भी मनाया जाता है, जिससे यह पर्व और भी विशेष बन जाता है।

🪔 गोवर्धन पूजा का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व

पुराणों के अनुसार, एक समय इंद्र देव के अभिमान से ब्रजवासी दुखी थे। उस समय भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर सात दिनों तक ब्रजवासियों की रक्षा की थी।
इसके बाद, लोगों ने इंद्र की पूजा बंद करके गोवर्धन पर्वत की पूजा प्रारंभ की।
तभी से गोवर्धन पूजा का प्रचलन शुरू हुआ, जो प्रकृति, वर्षा और जीवनदायी संसाधनों के प्रति सम्मान का प्रतीक है।


🍛 Govardhan Puja 2025 के प्रमुख अनुष्ठान और परंपराएं

🏞️ 1. गोवर्धन पर्वत की प्रतिमा बनाना

भक्त गौमाता के गोबर से गोवर्धन पर्वत का प्रतीकात्मक स्वरूप बनाते हैं और उसके चारों ओर दीपक, फूल, धूप और जल अर्पित करते हैं। यह पर्वत धरती और प्रकृति के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है।

🍲 2. अन्नकूट भोग (Annakoot Offering)

इस दिन सैकड़ों प्रकार के व्यंजन तैयार किए जाते हैं — जैसे दाल, सब्जियाँ, मिठाइयाँ, खीर, पूड़ी आदि।
इन्हें अन्नकूट पर्व कहा जाता है।
इन व्यंजनों को भगवान कृष्ण को समर्पित किया जाता है और फिर सभी भक्त प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।

🎶 3. भजन और प्रार्थना

भक्तजन भगवान कृष्ण के भजन, कीर्तन और आरती करते हैं। “गोवर्धन धरन गोकुल के नाथ” जैसे पारंपरिक गीत गाकर श्रद्धा व्यक्त की जाती है।

🎲 4. द्यूत क्रीड़ा का प्रतीकात्मक आयोजन

इस दिन कुछ स्थानों पर द्यूत क्रीड़ा (जुए) का प्रतीकात्मक आयोजन भी होता है, जिसे सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

🕯️ 5. गोवर्धन प्रदक्षिणा

कई श्रद्धालु इस दिन गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा (प्रदक्षिणा) करते हैं, जो लगभग 21 किलोमीटर लंबी यात्रा होती है। ऐसा करने से जीवन में सौभाग्य, स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त होने का विश्वास है।


Govardhan Puja 2025

🌸 गोवर्धन पूजा का सांस्कृतिक और पर्यावरणीय संदेश

गोवर्धन पूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह प्रकृति के संरक्षण और पर्यावरणीय संतुलन का प्रतीक भी है।
यह पर्व हमें सिखाता है कि:

  • प्रकृति की पूजा ही सच्ची पूजा है।
  • वर्षा, पर्वत, जल और अन्न — ये सभी जीवन के लिए आवश्यक तत्व हैं जिनका सम्मान और संरक्षण करना हमारा कर्तव्य है।
  • यह पर्व सामूहिक एकता, कृतज्ञता और सहयोग की भावना को बढ़ावा देता है।

💫 गोवर्धन पूजा का महत्व (Significance of Govardhan Puja)

पहलूमहत्व
धार्मिक महत्वभगवान कृष्ण की भक्ति और इंद्र के अहंकार पर विजय का प्रतीक
आध्यात्मिक महत्वजीवन में कृतज्ञता, विनम्रता और संतुलन का संदेश
सांस्कृतिक महत्वपरिवार और समाज के बीच प्रेम और एकता का उत्सव
पर्यावरणीय महत्वप्रकृति और पारिस्थितिकी के संरक्षण का आह्वान
सामाजिक महत्वसामूहिक पूजा और प्रसाद वितरण से समाज में सद्भावना

🕉️ आधुनिक युग में गोवर्धन पूजा का महत्व

आज के समय में जब पर्यावरण प्रदूषण और प्राकृतिक असंतुलन बढ़ रहा है,
गोवर्धन पूजा हमें याद दिलाती है कि मनुष्य और प्रकृति का संबंध अटूट है।
इस दिन लोग वृक्षारोपण करते हैं, पशुओं की सेवा करते हैं और सतत जीवनशैली (Sustainable Living) अपनाने का संकल्प लेते हैं।
यह पर्व पर्यावरण संरक्षण और कृतज्ञता की भावना को जीवंत बनाए रखने का माध्यम है।


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🌼 निष्कर्ष

Govardhan Puja 2025 भक्ति, कृतज्ञता और पर्यावरणीय जागरूकता का संगम है।
यह हमें सिखाती है कि प्रकृति का आदर, सामूहिक सहयोग और ईश्वर में आस्था ही जीवन की सच्ची संपत्ति है।
भगवान कृष्ण का यह संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है —

“जो प्रकृति की रक्षा करता है, वही सच्चे अर्थों में भगवान का भक्त कहलाता है।”

इस गोवर्धन पूजा पर अपने परिवार के साथ अन्नकूट भोग लगाएं, पर्यावरण की रक्षा का संकल्प लें और भक्ति एवं सद्भाव से जीवन को आनंदमय बनाएं। 🌺

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